Google Advertisement

जाने 2025 के ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता की कहानी व इनकी साहित्य कृति

Google Advertisement
🔥 Read with Full Features on Our Website

राजस्थान की सभी भर्ती परीक्षाओं पटवार vdo राजस्थान पुलिस व रेलवे ग्रुप d व NTPC के लिए हमसे जुड़े रहे निश्चित सफलता के लिए हमारी साइट पर जरूर विजिट करे l

Published on 23 Mar 2025
By ttimesnow

 

🔥 Read with Full Features on Our Website
Google Advertisement

प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को वर्ष 2025 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान है, जो भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। पुरस्कार में 11 लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है。 

 

Google Advertisement

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी अनूठी शैली और जादुई यथार्थवाद के लिए ख्याति प्राप्त की है। उनकी प्रमुख कृतियों में 'नौकर की कमीज़' (1979), 'वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह' (1981), 'सब कुछ होना बचा रहेगा' (1992) और 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' (1997) शामिल हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, अट्टा गलट्टा-बैंगलोर साहित्य महोत्सव पुस्तक पुरस्कार और पेन/नाबोकोव लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं。 

 

Google Advertisement

ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा की गई थी, और यह भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं के साहित्यकारों को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के साहित्य को प्रोत्साहित करना और सम्मानित करना है。 

 

विनोद कुमार शुक्ल को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जाना हिंदी साहित्य के लिए गर्व की बात है, जो उनकी साहित्यिक यात्रा और योगदान की मान्यता को दर्शाता है।

 

 

❤️ Like 💬 Comment 🔗 Share
Google Advertisement
👉 View Full Version on Main Website ↗
Google Advertisement
👉 Read Full Article on Website