जाने 2025 के ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता की कहानी व इनकी साहित्य कृति

Mar 23, 2025

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जाने 2025 के ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता की कहानी व इनकी साहित्य कृति

प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को वर्ष 2025 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान है, जो भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। पुरस्कार में 11 लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है。 

 

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी अनूठी शैली और जादुई यथार्थवाद के लिए ख्याति प्राप्त की है। उनकी प्रमुख कृतियों में 'नौकर की कमीज़' (1979), 'वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह' (1981), 'सब कुछ होना बचा रहेगा' (1992) और 'दीवार में एक खिड़की रहती थी' (1997) शामिल हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, अट्टा गलट्टा-बैंगलोर साहित्य महोत्सव पुस्तक पुरस्कार और पेन/नाबोकोव लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं。 

 

ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा की गई थी, और यह भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं के साहित्यकारों को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के साहित्य को प्रोत्साहित करना और सम्मानित करना है。 

 

विनोद कुमार शुक्ल को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जाना हिंदी साहित्य के लिए गर्व की बात है, जो उनकी साहित्यिक यात्रा और योगदान की मान्यता को दर्शाता है।

 

 


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