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राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस: चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोप 2025

लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर बड़े आरोप लगाए। कर्नाटक में एक लाख वोट चोरी का दावा। जानें पूरी खबर

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नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025 - लोकसभा में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को एक विस्फोटक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि आयोग बीजेपी के साथ मिलकर देश भर मेंव्यापक पैमाने पर वोट चोरीका अपराध कर रहा है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र से जुड़े तथ्य प्रस्तुत करते हुए आरोप लगाया कि यहाँ एक लाख से अधिक फर्जी वोट डाले गए थे।

राहुल गांधी के मुख्य आरोप

कांग्रेस नेता ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उनकी पार्टी की 40 सदस्यीय टीम ने छह महीने तक कड़ी मेहनत करके कर्नाटक के बैंगलोर सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत महादेवपुरा विधानसभा सीट का गहन अध्ययन किया है। राहुल गांधी के अनुसार, इस विश्लेषण में पाया गया कि महादेवपुरा में कुल मिलाकर 1,00,250 वोट चोरी हुए हैं।

राहुल गांधी ने कहा, “हमारे आंतरिक सर्वेक्षण के अनुसार हमें कर्नाटक में 16 सीटें जीतनी चाहिए थीं, लेकिन हमें केवल 9 सीटें मिलीं। इसलिए हमने उन 7 अप्रत्याशित हारों पर फोकस किया और एक लोकसभा सीट चुनी। हमारी टीम ने कहा कि हम केवल एक विधानसभा पर ही ध्यान दे सकते हैं, इसलिए हमने महादेवपुरा को चुना।

पांच तरीकों से हुई वोट चोरी का दावा

राहुल गांधी ने अपनी प्रस्तुति में बताया कि महादेवपुरा में पांच अलग-अलग तरीकों से वोट चोरी हुई है:

1. डुप्लिकेट मतदाता (11,965 वोट)

राहुल गांधी ने दावा किया कि एक ही व्यक्ति कई बूथों में मतदाता के रूप में पंजीकृत है। उन्होंने गुरकीरत सिंह डांग का उदाहरण देते हुए कहा कि इस व्यक्ति का नाम चार अलग-अलग बूथों में दर्ज है। इसी तरह आदित्य श्रीवास्तव नाम का एक व्यक्ति कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र - तीन राज्यों में मतदाता के रूप में पंजीकृत है।

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2. फर्जी और अमान्य पते (40,009 वोट)

राहुल गांधी ने बताया कि हजारों मतदाताओं के पास या तो कोई पता नहीं है या फर्जी पते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई जगह पिता का नाम कॉलम में “dfojgaidf” जैसी बेतुकी एंट्री है और घर का नंबर “0” दिया गया है।

3. एक पते पर थोक मतदाता (10,452 वोट)

इसके तहत राहुल गांधी ने दावा किया कि एक ही घर के पते पर कई मतदाता पंजीकृत हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि हाउस नंबर 35 में 80 मतदाता रजिस्टर्ड हैं जबकि वहाँ केवल एक कमरे का घर है। जब कांग्रेस कार्यकर्ता वहाँ जाकर जाँच करने गए तो उन्हें पीटा गया या धमकाया गया।

4. अमान्य फोटो (4,132 वोट)

राहुल गांधी ने कहा कि हजारों मतदाता कार्डों में या तो फोटो नहीं है या इतनी छोटी और अस्पष्ट फोटो है कि पहचान करना असंभव है।

5. फॉर्म 6 का दुरुपयोग (33,692 वोट)

नए मतदाताओं के लिए बने फॉर्म 6 का गलत इस्तेमाल करते हुए 70 साल की शकुन रानी नाम की महिला को दो महीने में दो बार नए मतदाता के रूप में रजिस्टर किया गया है।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया और चुनौती

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राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने तुरंत एक पत्र लिखकर राहुल गांधी से कहा है कि वे अपने आरोपों को हलफनामे के रूप में साइन करके सबमिट करें। चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा, “या तो साइन करके दें या फिर भारत की जनता को गुमराह करें और चुनाव आयोग पर बेबुनियाद आरोप लगाना बंद करें।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूचियाँ पारदर्शी तरीके से तैयार की जाती हैं और कांग्रेस को भी 2024-25 की मसौदा और अंतिम मतदाता सूचियाँ प्रदान की गई थीं। आयोग का कहना है कि कांग्रेस ने कभी औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

राहुल गांधी का जवाब

चुनाव आयोग की हलफनामा साइन करने की मांग पर राहुल गांधी ने कहा, “मैं एक राजनेता हूँ। जो मैं लोगों से कहता हूँ, वही मेरा वचन है। मैं इसे सबके सामने सार्वजनिक रूप से कह रहा हूँ। इसे शपथ मान लीजिए।

उन्होंने आगे कहा, “यह उनका (चुनाव आयोग का) डेटा है और हम उनका ही डेटा प्रदर्शित कर रहे हैं। यह हमारा डेटा नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने जानकारी से इनकार नहीं किया है। वे कह रहे हैं कि क्या आप शपथ के तहत यह कहेंगे? आप क्यों नहीं कहते कि यह गलत है? क्योंकि आप सच जानते हैं और आप जानते हैं कि हम जानते हैं कि आपने यह पूरे देश में किया है।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी के आरोपों का कड़ा विरोध किया है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी लगातार चुनावी हार के बाद संवैधानिक संस्थानों पर हमला कर रहे हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी केवल उन राज्यों में वोट फ्रॉड का आरोप लगाते हैं जहाँ कांग्रेस हारती है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “या तो उनका दिमाग चोरी हो गया है या उनके दिमाग की चिप गुम है। इसीलिए वे अक्सर ऐसे बयान देते हैं।

बैंगलोर सेंट्रल से बीजेपी सांसद पीसी मोहन ने राहुल गांधी के आरोपों को हिंदुओं का अपमान बताते हुए कहा कि यहसांप्रदायिक चुनिंदापनहै।

व्यापक पैटर्न का दावा

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राहुल गांधी ने दावा किया कि महादेवपुरा केवल एक उदाहरण है और यह पैटर्न पूरे देश में दोहराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में बने रहने के लिए केवल 25 सीटों की जरूरत थी और बीजेपी ने 25 सीटें 33,000 से कम मतों के अंतर से जीती हैं।

राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग जानबूझकर मशीन रीडेबल डेटा नहीं दे रहा ताकि विश्लेषण किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर आयोग इलेक्ट्रॉनिक डेटा देता तो यह जाँच 30 सेकंड में हो सकती थी, लेकिन कागजी डेटा के कारण इसमें 6 महीने लगे।

न्यायपालिका से हस्तक्षेप की अपील

राहुल गांधी ने न्यायपालिका से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा, “न्यायपालिका को इसमें शामिल होना होगा क्योंकि हम जिस लोकतंत्र से बहुत प्यार करते हैं, वह अस्तित्व में नहीं है।

उन्होंने चुनाव आयोग के अधिकारियों को चेतावनी भी दी, “कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने वरिष्ठ या जूनियर हैं। एक दिन विपक्ष सत्ता में आने वाला है और फिर आप देखेंगे कि हम आपके साथ क्या करते हैं। आप हमारे लोकतंत्र की नींव पर हमला कर रहे हैं, हम इसे खड़ा नहीं होने देंगे।

आगामी प्रदर्शन और राजनीतिक प्रभाव

राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में चुनाव आयोग के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी कर रही है। राहुल गांधी बैंगलोर में एक रैली को संबोधित करने वाले हैं।

यह विवाद बिहार में हो रहे विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) अभ्यास के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है, जिसका विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया जा रहा है।

निष्कर्ष

राहुल गांधी की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जहाँ विपक्षी नेता ने चुनाव आयोग पर सीधे तौर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। चुनाव आयोग की चुनौती और बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया के बाद यह मामला कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर गर्मा गया है।

इस विवाद का प्रभाव आगामी चुनावों, खासकर बिहार विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। राहुल गांधी के आरोप वास्तविक हैं या राजनीतिक हताशा, यह तय करना अब न्यायपालिका और जनता के हाथों में है।

यह पूरा प्रकरण भारतीय लोकतंत्र की मजबूती की परीक्षा है और यह दिखाता है कि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर कितनी संजीदगी से बहस हो रही है। चुनाव आयोग का जवाब और आगे की कार्रवाई इस मामले की दिशा तय करेगी।

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