भारत के तीन नए युद्धपोतों से हिंद महासागर में उतारा,चीन के आगे कितना शक्तिशाली
भारत ने बुधवार को एक साथ तीन युद्धपोतों को कमिशन किया, जिसमें पनडुब्बी आईएनएस वागषीर, डिस्ट्रॉयर आईएनएस सूरत और स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरी पी17ए हैं.
भारत ने बुधवार को यह साथ ही तीन युद्धपोतों कमिशन किया, जिसमें पनडुब्बी आईएनएस वागषीर, डिस्ट्रॉयर आईएनएस सूरत और स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरी पी17ए शामिल हैं। यह चीन की मजबूत मौजूदगी की एक काट के रूप में हिंद महासागर में देखा जाता है। भारत का 95 प्रतिशत व्यापार हिंद महासागर क्षेत्र से होता है और यहां चीनी नौ सेना की बढ़ती मौजूदगी ने भारत के लिए चुनौतियां उत्पन्न की हैं।
रक्षामंत्री ने कहा, “भारत अपने हितों की रक्षा के लिए अपनी नेवी को ताक़तवर बनाने पर सबसे अधिक ध्यान दे रहा है।” मुंबई में सरकार द्वारा संचालिच मझगांव डॉकयार्ड से तीन युद्धपोतों को कमिशन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “तीन प्रमुख नौसैनिक युद्धपोतों का कमिशन किया जाना रक्षा निर्माण और समुद्री सुरक्षा में वैश्विक अगुवा बनने के भारत के नज़रिए को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग है।” लेकिन भारत हिंद महा सागर में चीन की नेवी को संतुलन करने में कितना क़ामयाब होगा, यह अब भी एक सवाल है॥
समुद्री सुरक्षा में भारत की ताक़त बढ़ी
बुधवार को कमिशन की गई कन्वेंशनल पनडुब्बी आईएनएस वागषीर की कमिशनिंग के साथ ही भारत के पास अब 16 पनडुब्बियां हो गई हैं.
इससे हिंद महासागर से लेकर बंगाल की खाड़ी में भारतीय समुद्री सुरक्षा में भारत की क्षमता बढ़ी है.
लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी चीनी नौसेना के तेज़ी से ताक़तवर होने की वजह से हिंद महासागर क्षेत्र में हालात चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं.
रक्षा विश्लेषक राहुल बेदी ने बीबीसी हिंदी से कहा, "नई कमिशनिंग का मकसद पानी के अंदर पुराने हो रहे भारतीय बेड़े को बदलना है और मौजूदा समय में क्षमताओं में अंतर को कम करना है."
"पी75 स्कॉर्पियन सबमरीन प्रोजेक्ट, बेदी ने कहा कि नेवल ग्रुप ऑफ़ फ़्रांस के साथ मिलकर पनडुब्बी निर्माण के क्षेत्र में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता को दिखाता है."
उन्होंने कहा कि 'आईएनएस वागषीर पनडुब्बी फ़्रांस के लाइसेंस पर बनाई जाने वाली कालवारी (स्कॉर्पियन) क्लास की छठी पारंपरिक डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है.'
अगले महीने पेरिस में हो रहे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ़्रांस जाने वाले हैं और इस दौरान तीन और स्कॉर्पियन पनडुब्बी का समझौता हो सकता है.
हिंद महासागर में चीन के तेज़ी से बढ़ते बेड़े की ताक़त को संतुलित करने के लिए भारत ने देश में निर्मित अपने पहले विमान वाहक पोत को 2022 में कमिशन किया था.
आईएनएस विक्रांत भारत का दूसरा एयरक्राफ़्ट कैरियर (विमान वाहक पोत) है, जो इस्तेमाल में है. पहला एयरक्राफ़्ट कैरियर सोवियत युग का आईएनएस विक्रमादित्य है जिसे हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी की सुरक्षा के लिए 2004 में रूस से खरीदा गया था.