पिंक लिक्विड क्या है, जिसका लॉस एंजेलिस में आग पर काबू पाने के लिए हो रहा है इस्तेमाल

Jan 13, 2025

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पिंक लिक्विड क्या है, जिसका लॉस एंजेलिस में आग पर काबू पाने के लिए हो रहा है इस्तेमाल

पिंक लिक्विड क्या है, जिसका लॉस एंजेलिस में आग पर काबू पाने के लिए हो रहा है इस्तेमाल

पिंक लिक्विड क्या है, जिसका लॉस एंजेलिस में आग पर काबू पाने के लिए हो रहा है इस्तेमाल

अमेरिका के लॉस एंजेलिस में लगी आग पर काबू पाने के लिए कई विमानों को लगातार गुलाबी रंग का एक तरल पदार्थ आग पर गिराते देखा जा रहा है.

लॉस एंजेलिस में जंगल की आग के फैलकर कई रिहाइशी इलाक़े को अपनी चपेट में ले चुका है. इस आग की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है.

इस आग की वजह से अब तक अरबों डॉलर की संपत्ति का नुक़सान हो चुका है. रविवार को मौसम पर नज़र रखने वाली एक निजी कंपनी ने आग की वजह से क़रीब 250 अरब अमेरिकी डॉलर के आर्थिक नुक़सान का अनुमान लगाया है.

इस आग पर काबू पाने के लिए फायर फाइटर्स लगातार कोशिश कर रहे हैं और अभी भी कई जगहों पर उनका यह प्रयास जारी है.

लॉस एंजेलिस में हवाई जहाज़ से आग पर गुलाबी यानी पिंक रंग का लिक्विड गिराया जा रहा है.

दरअसल ये एक फ़ायर रिटार्डेंट है, यानी ऐसा पदार्थ जो आग लगने या जलने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है.

यह गुलाबी पदार्थ पानी, साल्ट्स (केमिकल) और उर्वरकों का मिश्रण है. इसमें मूल रूप से अमोनियम फॉस्फेट मिला हुआ घोल होता है.

आग के जलने के लिए ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है और यह रासायनिक मिश्रण से आग को मिलने वाला ऑक्सीजन रोक देता है. ताकि यह ज़्यादा तेज़ी से फैल सके. की एक ख़बर के मुताबिक़ यह अमोनियम पॉलिफॉस्फेट जैसे साल्ट्स (केमिकल) का बना होता है जो पानी की तरह आसानी से भाप बनकर उड़ता नहीं है, बल्कि लंबे समय तक सतह पर मौजूद रहता है.

इससे उस सतह (जहां आग लगी हो) को ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती है और आग की लपटें धीमी हो जाती हैं.

इस तरह से यह तरल पदार्थ आग को फैलने से रोकने का काम करता है.

आग बुझाने के लिए इस्तेमाल इस केमिकल को गुलाबी रंग इसलिए दिया जाता है ताकि दमकल कर्मियों को ये पता चल जाए कि कहां इसका इस्तेमाल हो चुका है.

इसके अलावा ये रंग आग की ज़द में आए क्षेत्र को भी साफ़ दिखाता है. इससे लोगों को पता चलता है कि कौन से इलाके आग से प्रभावित हैं.

आग पर काबू पाने की ये तकनीक विवादों में भी रही है क्योंकि इस केमिकल के इंसानों और पर्यावरण पर होने वाले असर को लेकर चिंता जताई जाती है.

 


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